How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good naat lyrics in urdu

beautiful english naat lyrics

Hasbi rabbi jallallah, Maula ya salli wa sallim, Khuda ka zikr kare, Meri ulfat madine se yunhi nahi, Faslon ko takalluf hy hum sy agr, Be khud kiye dete hain, Har waqt tasawwur mein, Lam yati nazeero kafi nazarin, Huzoor aisa koi intezam ho jaye, Aye saba mustafa se keh dena, Chamak tujhse pate hain sab pane wale, Khula hai sabhi ke liye baab e rehmat, Tu kuja man kuja, Falak ke nazaro, Tajdar e haram salam, Aye sabz gumbad wale, Rok leti hai aapki nisbat, Sab se aula o aala hamara nabi, Ek major hi nahi un par qurban zamana hai, Kabe ki ronak kabe ka manzar, Tu shamm e risalat hai, Dare nabi par, Subha taiba mein hui batta hai bara noor ka, Chalo diyare nabi ki janib, Zameen o zaman tumhare liye, Ek key Hello nahi un par, Salam us par ke jisne badshahi major fakiri ki Dekhte kya ho ahle safa naat lyrics Dera dil aur meri jaan madine wale , Jahan Roza E Pak E Khairul Wara Hai naat lyrics, Hudood e tair e sidra , Huzoor meri to sari bahar aap se hai , Zameen maili nahi hoti , Wo suey lalazar phirte hain, Koi saleeqa hai arzoo ka naat naat lyrics, Ya muhammad noor e mujassamYa mustafa khair ul wara naat lyrics, Tere hotay janam liya hota naat lyrics, Haqeeqat key wo lutfe zindagi naat lyrics, Jab masjid e nabvi ke minar nazar aaye naat lyrics, Lamha lamha shumar karte hain naat lyrics And several much more

हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन की तस्वीर सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-'अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबा ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने में मौजूद है हम ने माना कि जन्नत बहुत है हसीं छोड़ कर हम मदीना न जाएँ कहीं यूँ तो जन्नत में सब है मदीना नहीं और जन्नत मदीने में मौजूद है छोड़ना तेरा तयबा गवारा नहीं सारी दुनिया में ऐसा नज़ारा नहीं ऐसा मंज़र ज़माने में देखा नहीं जैसा मंज़र मदीने में मौजूद है ना'त-ख़्वाँ: महमूद जे.

वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो सोने से कंकर, वो चाँदी सी मिट्टी नज़र में बसाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो पूछा नबी ने कि कुछ घर भी छोड़ा तो सिद्दीक़-ए-अकबर के होंटों पे आया वहाँ माल-ओ-दौलत की क्या है हक़ीक़त जहाँ जाँ लुटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जिहाद-ए-मोहब्बत की आवाज़ गूँजी कहा हन्ज़ला ने ये दुल्हन से अपनी इजाज़त अगर हो तो जाम-ए-शहादत लबों से लगाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है सितारों से ये चाँद कहता है हर-दम तुम्हें क्या बताऊँ वो टुकड़ों का 'आलम इशारे में आक़ा के इतना मज़ा था कि फिर टूट जाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो नन्हा सा असग़र, वो एड़ी रगड़ कर यही कह रहा था वो ख़ैमे में रो कर ऐ बाबा !

गुस्ताख़ों की करते हैं यहाँ जो भी हिमायत

मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से डालो नज़र-ए-करम, सरकार ! अपने मँगतों पर इक बार हम ने आस है लगाई बड़ी देर से मेरे चाँद ! मैं सदक़े, आजा इधर भी चमक उठे दिल की गली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरे रब ने मालिक किया तेरे जद को तेरे घर से दुनिया पली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरा रुत्बा आ'ला न क्यूँ हो, कि मौला !

कुछ प्रसिद्ध नातख्वान (रेसाइटर्स) कौन हैं?

लमयाति नज़ीरुका फ़ी नज़रिन मिस्ल-ए-तो न शुद पैदा जाना

अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर !

फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो रुख़ से पर्दा अब अपने हटा दो अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं एक मुजरिम सियाह-कार हूँ मैं हर ख़ता का सज़ा-वार हूँ मैं मेरे चारों तरफ़ है अँधेरा रौशनी का तलबग़ार हूँ मैं इक दिया ही समझ कर जला दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं वज्द में आएगा सारा 'आलम हम पुकारेंगे, या ग़ौस-ए-आ'ज़म वो निकल आएँगे जालियों से और क़दमों में गिर जाएँगे हम फिर कहेंगे कि बिगड़ी बना दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा !

या हुसैन इब्न-ए-'अली ! या हुसैन इब्न-ए-'अली !

तुझे जाना जाता है दोनों आलमों का बादशाह

Inside the commencement of language, poetry is the initial step. Individuals converse as a result of poetry. Naat will be the expression of poetry through which poet praise the Holy Prophet Muhammad (P.

हैरत से ख़ुद को कभी देखता हूँ और देखता हूँ कभी मैं हरम को

mentioned... I heard extra naats in childhood but they're not there at YouTube I do not know where to locate

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